10th solved Questions Paper 2021| Previous year Science cbse question paper
Class 10th Scinece Solved Question Paper 2021.
All Exam Solutions 10वीं कक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तयारी कर रहे छात्रो एवं पाठकों के लिए Previous year Science cbse question paper पर महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत कर रहा है | आज के इस topic में रासायनिक समीकरण, रासायनिक सूत्र, वइलेक्ट्रॉनिक विन्यास, मानव शरीर, दृष्टि दोष, विद्युत धारा आदि से संबंधित परीक्षापयोगी प्रश्नों का संग्रह शामिल है
(i). प्रश्न संख्या 1 से 15 अति लघु उत्तरीय प्रश्न है. इनके उत्तर एक शव्द या एक वाक्य में होगे.
- रासायनिक समीकरण को संतुलित कीजिये?
Fe+H2O – Fe3 O4+H2
Ans:- 3Fe+4H2O – Fe3 O4+4H2
- विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र लेखे?
उत्तर:- CaOCl2
- किस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,3 है?
उत्तर:- एल्युमिनियम
- सिरके में उपस्थित अम्ल का नाम लिखिए?
उत्तर:- एसिटिक अम्ल
- दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच के खालीस्थान को क्या कहते है?
उत्तर:- सिनेप्स
- पुष्प के नर व मादा जन्न अंगो के नाम बताइए?
उत्तर:- पुष्प के नर अंग का नाम पुंकेसर और मादा अंग का नाम स्त्रीकेसर
- मानव शरीर में कितने जोड़ेगुणसूत्र है?
उत्तर:- 23
- स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है:-
(i)कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(ii) क्लोरोफिल
(iii) सूर्य का प्रकाश
(iv) उपरोक्त सभी.
उत्तर:- (iv) उपरोक्त सभी.
- निकट दृष्टि दोष का उपचार किस लेंस द्वारा किया जाता है?
उत्तर:-अवतल लेंस
- विद्युत धारा का SI मात्रक क्या है?
उत्तर:-एंपियर
- उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने से सहायता करती है?
उत्तर:- बैटरी
- भारत का विशालतम पवन उर्जा फार्म किस राज्य में स्थापित किया गया है?
उत्तर:- तमिलनाडु में (8896 MW)
- अपघटक क्या है?
उत्तर:- वे सूक्ष्म जिव जो मृत पौधों और जानवरों के शरीर को सरल पदार्थो में परिवर्तित करते है , अपघटक कहलाते है.
- छड चुम्बक के दो धुर्वों के नाम लिखे?
उत्तर:- उत्तर, दक्षिण.
15. गंगा सफाई योजना कब शुरू हुई?
उत्तर:- 14 जनवरी 1986.
प्रश्न संख्या 16 से 24 लघु उत्तरीय प्रश्न है इनके उत्तर 30 शब्दों में होगे.
उत्तर:- पेंट करने से लोहे का ऊपरी भाग छूप जाता है. वह वायु के साथ सीधे संपर्क में नही आता जिसके कारण उसमे जंग नही लगता | इसलिए हम पेंट करके उस पदार्थ को जंग लगने से बचा सकते है.
- बेकिंग सोडा के दो प्रमुख उपयोग बताएं?
उत्तर:- (i). इसका प्रयोग सोडा-अम्ल अग्निशमन में होता है.
(ii). यह एंटैडिस का एक संघटक है जो पेट के अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुंचता है.
- न्युलेंड्स का अष्टक सिधांत क्या है?
उत्तर:- न्युलेंड्स का अष्टक सिधांत सन 1866 में दिया गया था . इस नियम के अनुसार जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भार के आधार पर व्यवस्थित करते है. तो प्रत्येक आठवें तत्त्व के गुण पहले ततत्त्व के गुणों के समान होते है.
- जाइलम तथा फ्लोयम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर:- इनमे अंतर निम्न है:-
जाइलम:-
यह मोती दिवार वाले वे मृत उत्तक है जो पानी और खनिजो को जड़ से पौधों के अन्य भागों तक पहुंचाते है.
फ्लोयम:-
ये वे जीवित उत्तक है जो पत्तों से भोजन को पौधे के विभीन्न भागो तक पहुंचाते है.
- हम एक एग्रवती की गंध का पता कैसे लगते है?
उत्तर:- हमारी नाक में गंध ग्राही होता है. इनके संवेदी न्यूरान अगरबत्ती की गंध को ग्रहण करते है और अनुक्रिया को प्रेरक क्षेत्र तक पहुंचाते है. अग्र मस्तिष्क में ग्राही संवेदी आवेग प्राप्त करने का क्षेत्र होता है जो सूंघने के लिए विशिष्टीकृत है. वही गंध का निर्णय लेकर अगरबत्ती की सुगंध का हमें अनुभव कराता है.
- माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर:- गर्भस्त भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण प्राप्त होता है. इसके लिए प्लेसेंटा की सरंचना प्रकृति के द्वारी की गयी है. यह एक तश्तरी नुमा सरंचना है जो गर्भाशय की भीती में धंसी होती है. इसमें भ्रूण की और से उत्तक के प्रवर्ध होते हैं. माँ के उत्तको में रक्तस्थान होते है. जो प्रवर्ध को ढांपते है. ये माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ओक्सीजन और अन्य पदार्थ प्रदान करते है.
- यह कहने का क्या तात्पर्य है की दो बिन्दुओं के बीच विभंतर 1V है?
उत्तर:- किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिन्दुओ के बीच विद्युत विभंतर को हम उस उर्जा द्वारा परिभाषित करते है जो एकांक आवेश को एक विंदु से दुसरे बिंदु तक लेन के लिए किया जाता है.
दो बिन्दुओ के बीच विभांतर (V)
V = W/Q
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूचि बनाइए?
उत्तर:- (i). ये रेखाएं उत्तरी द्रुव से शुरू होती है. और दक्षिणी द्रुव पर समाप्त होती है. ये रेखाएं एक बंद बक्र होता है.
(ii) ये रेखाएं कभी भी एक दुसरे को नहीं काटती .
(iii) जहाँ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं अपेक्षाकृत अधिक निकट होती है वहां चुंबकीय बल की प्रबलता होती है.
(iv) कीसी स्थान पर चुंबकीय बल रेखाओं की सघनता उस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होते है.
(v) यदि चुंबकीय क्षेत्र एक समान हो तो बल रेखाएं एक दुसरे के समांतर और बराबर दुरी पर होती है.
- हम उर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
उत्तर:- हमारे जीवन में उर्जा का प्रयोग आवश्यक है. खाना पकाने, बिजली उत्पादन करने, कल-कारखानों को चलाने और वाहनों के लिए हमे ऊर्जा की आवश्कता होती है. जिसे अधिकतर हम इंधनों और बिजली से प्राप्त करते है. पृथ्वी में संचित कोयला और पेट्रोलियम लम्बे समय तक हमारी आवश्यकताओ को पूरा कर रहे है. अभी भी ये धरती की गहराई पर विद्यमान है. और इन्हें हम प्राप्त कर रहे है. परंतु ये अनवीकर्निय उर्जा स्त्रोत है. इनका एक बार प्रयोग कर लेने के बाद द्वारा प्रयोग नही किया जा सकता. इसलिए जरूरी है कि हम उस उर्जा का ज्यादा उयोग करें जो नविकर्निय हो.
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प्रश्न संख्या 25 से 28 तक के प्रश्नों के उत्तर 40 शब्दों में होगे.
- पेंटेन के सरंचनात्मक स्माव्यवों को चित्रण कीजिये?
उत्तर:- पेंटेन के तीन समवयावों का चित्रण किया जा सकता है:-
- पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुदांत्र को कैसे अभिकल्पीत किया गया है?
उत्तर:- पचे हुए भोजन को आंत्र की भीती अवशोषित कर लेती है. क्षुदांत्र के आंतरिक आस्तर पर ऊँगली जैसे अनेक प्रावध होते है. जिन्हें दिर्घरोम कहते है. ये अवशोषण के स्तयी क्षेत्रफल को लगभग 600 * बढ़ा देते है. इनमे रुधिर वाहिकाओ की अधिकता होती है. जो भोजन को अवशोषीत करके शारीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने का कार्य करती है. यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, नये उत्तको का निर्माण करने तथा पुराने उत्तको की मरमत के लिए किया जाता है.
अथ्वा/Or
26. हमारे अमाशय में अम्ल की क्या भूमिका है?
उत्तर:- अमाशय की भीती में उपस्थित जठर ग्रंथियों से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल उत्पन्न होता है यह अम्लीय माध्यम तयार करता है. जो पेपिसन एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है. यह भोजन को सड़ने से रोकता है. यह भोजन के साथ आये जीवाणुओं को नष्ट कर देता है. भोजन में उपस्थित Ca को कोमल बनता है. यह पाईलोरिफ छिद्र के खुलने और बंद होने पर नियंत्रण रखता है. यह निष्क्रिय एनजायमो को सक्रिय अवस्था में लाता है.
- व्याख्या कीजिये की गृह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर :- तारों की अपेक्षा ग्रह हमारी पृथ्वी केबहुत निकट है. उन्हें विस्तृत स्त्रोत की तरह मान सकते है. यदि ग्रह को बिंदु आकर के अनेक प्रकाश स्त्रोतों का संग्रह मान ले तो उन सभी से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा जिस कारण वे टिमटिमाते नही है.
अथ्वा/Or
मानव नेत्र का नामांकित चित्र बनाइए?
उत्तर:-
- क्या होगा यदि हम एक पोशी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर:- यदि एक पोशी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दे तो परिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो जायेगा. प्रकृति की सभी खाद्य शृंखला एक दुसरे से जुडी है. जब किसी एक को पूरी तरह खत्म कर दिया जाये तो उस आहार श्रृंखला का संवंध किसी दुसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है. यदि आहार श्रृंखला से शेरो को मार दिया जाये तो घास चरने बाले हिरनों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी. उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी. उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतिओं को इस तरह खत्म कर देगी की वे क्षेत्र रेगिस्तान बन जायेगा. सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक का उदहारण है.
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प्रश्न संख्या 29 से 31 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं| इनके उत्तर लगभग 70 शब्दों में होगे.
29. मानव के उत्सर्जन तंत्र का चित्रण वर्णन कीजिये?
उत्तर:-
वृक्क एवं इसके अनेक सहायक अंगो को मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र कहते है. वृक्क उत्सर्जन तन्त्र का प्रमुख अंग है. जो केवल उत्सर्जी पदार्थो को उपयोगी पदार्थो से छानकर अलग कर देता है. वृक्क भूरे रंग का सेम के बीज के आकार की सरंचनाए है. जो की उदरगुहा में कशेरुक दंड के दोनों तरफ होती है. प्रत्येक वृक्क लगभग 10 से.मी. लम्बा 6 से. मी. चौड़ा और 2.5 से.मी. मोटा होता है. यकृत की बजह से दायाँ वृक्क का बहरी किनारा उभरा हुआ होता है. जबकि भीतरी किनारा धंसा होता है. जिसे हाईलम कहते है और इसमें से मूत्र नलिका निकलती है. मूल नलिका जाकर एक पेशीय थैले जैसी सरंचना में खुलती है. जिससे मूत्राशय कहते है.
अथ्वा/Or
धमनी एवं शिरा में अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:- इनमे अंतर निम्न है:-
धमनी | शिरा |
(1) धमनी हृदय से रक्त्त का संवहन शरीर के विभिन भागो में करती है. | (1) शिराएँ शरीर के विभिन भागो से रक्त को एकत्रित करके उसका संवहन हृदय तक करती है. |
(2) इनमे कपाट (वाल्व) नहीं होते है. | (2) इनमे कपाट (वाल्व) होते है. |
(3) इनकी दीवारे मोटी होती है. | (3) इनकी दीवारे पतली होती है. |
- रासायनिक अभिक्रिया क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित वर्णन करें?
उत्तर:- रासायनिक अभिक्रिया के दौरान किसी एक तत्व का परमाणु दुसरे तत्त्व के परमाणु में नहीं बदलता है. न ही कोई परमाणु मिश्रण से बाहर आता है या बाहर से मिश्रण में जाता है. वास्तव मी किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आवंध के टूटने और जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है.|
1.सयुंक्त अभिक्रिया:-
ऐसी अभिक्रिया जिसमे दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते है. उससे संयुक्त अभिक्रिया कहते है. जैसे:- कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया बुझे हुये चुने ( कैल्सियम हाइड्रोऑक्साइड) का निर्माण करके अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है.
CaO(s) + H2O(1) – Ca(OH)2(aq)
इस अभिक्रिया में केल्शियम ऑक्साइड तथा जल मिलकर एकल उत्पाद कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड बनाते है.
- वियोजन अभिक्रिया:-
वह अभिक्रिया जिसमे दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ प्रदान करता है. वियोजन अभिक्रिया के उदाहरण :-
(i) CaCO3(s) – CaO(s) + CO2
(ii) 2Pb(NO3) – 2Pb O(s) +4NO2(g)+O2(g)
- विस्थापन अभिक्रिया:-
जब कोई तत्त्व दुसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो वह विस्थापन अभिक्रिया होती है.
उदाहरण:-
Zn(s) + CuSO4(aq) – ZnSO4 (aq) + Cu(s)
Cl2(q) + 2KI(aq) – 2KCI (aq) + I2(aq)
- द्विविस्थापन अभिक्रिया:-
इसमें दो अलग-2 परमाणु या परमाणुओं के समूह का आपस में आदान-प्रदान होता है. उदाहरण:-
(i). BaCl2 + Na2SO4 – BaSO4 + 2NaCl
(ii). AgNO3 + NaCl – AgCl + NaNO3
- नामांकित आरेख खींचकर किसी विधुत जनित्र का मूल सिधांत तथा कार्य विधि स्पष्ट कीजिए| इसमें ब्रुशो का क्या अर्थ है?
उत्तर:-
सिधांत:-
जनित्र ईस सिधांत पर आधारित है. कि किसी चालक में प्रतीत धारा तब उत्पन्न होती है. जब इससे संबंधित चुम्बकीय रेखाओं में परिवर्तन होता है. उत्त्पन्न विद्युत धारा की दिशा फ्लेमींग के दायें हाथ के नियम के अनुसार होती है.
फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम:-
अपने दायें हाथ के अंगूठे तर्जनी और माध्यम ऊँगली को इस प्रकार फैलाओ कि प्रत्येक एक दुसरे के साथ समकोण बनाये तो तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की ओर संकेत करती है. अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करता है. और माध्यम ऊँगली कुंडली में उत्पन्न विद्युत धारा की दिशा को दिखाती है.
रचना:-
किसी सदारण प्रत्यावर्ती जनित्र में निम्न लिखित भाग होते है:-
1.आर्मेचर:-
इसमें मृदु लोहे की क्रोड़ पर तांवे की तार की अवरोधी बड़ी संख्या मे कुंडली ABCD होती है. इसे आर्मेचर कहते है.इसे एक धुरी पर लगाया जाता है. जो गिरते पानी हवा का भाप की सहायता से घूम सकती है.
2. क्षेत्र चुम्बक:-
कुंडली को शक्तिशाली चुम्बको के बीच स्थापित किया जाता है. छोटे जनित्रों में स्थाई चुम्बक लगाये जाते है. पर बड़े जनित्रों में विद्युत चुम्बको का प्रयोग किया जाता है. ये चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करते है.
3. स्लिप रिगज :-
धातु के दो खोकले रिंग R1 और R 2 को कुंडली की धुरी पर लगाया जाता है. कुंडली के AB और CD को इनसे जोड़ दिया जाता है. आर्मेचर के साथ R1 और R2 भी साथ -2 घूमते है.
4. दो कार्बनिक ब्रुशों :-
B1 और B2 से विद्युत धारा को Load तक ले जाया जाता है. चित्र में इससे गैल्वोनोमिटर से जोड़ा गया है. जो विद्युत धारा को मापता है.
कार्य बिधि:-
जब कुंडली को चुम्बक के द्रुवों N और S के बीच घड़ी की सूई की विपरीत दिशा घुमाया जाता है. तब AB निचे और CD ऊपर की दिशा में जाता है. उत्तरी ध्रुव के निकट AB चुम्बकीय रेखाओं को काटती है. और CD ऊपर दक्षीणी ध्रुव के निकट रेखाओं को काटती है. इससे AB और DC में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है. फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियमानुसार विद्युत धारा B से A और D से C की ओर बहती है. प्रभावी विद्युत धारा DCBA की दिशा में चलता है. आधे चक्र के बाद कुंडली के AB और DC अपनी स्थिति को बदल देते है. AB दाई तरफ और DC बाएँ तरफ हो जायेगा. इससे AB ऊपर तथा DC नीचे की और हो जायेगे. इस परिवर्तन के कारण कुंडली में धारा की दिशा आधे के बाद ऊल्ट जाएगी. दो सिरों की धन और ऋण ध्रुवणभी परिवर्तित हो जाएगी. हमारे देश में 50 Hz प्रत्यवर्तन धारा का प्रयोग किया जाता है. इसीलिए कुंडली को एक सेकिंड में 50 बार घुमाया जाता है. एक चक्र में धारा अपनी दिशा को दो बार बदलती है.
इस व्यवस्था में एक ब्रश सदा उस भुजा के साथ संपर्क में रहता है. जो चुम्बकीय क्षेत्र में ऊपर की और गति करती है. दूसरा ब्रश सदा निचे की ओर गति करने वाली भुजा के संपर्क में रहता है.