NCERT Solutions: Class 10th Hindi Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' Book Kshitiz All Exam Online

NCERT Solutions: Class 10th Hindi Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Book Kshitiz

NCERT Solutions: Class 10th Hindi Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Book Kshitiz | अध्याय 5. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला. उत्साह और अट नहीं रही है

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NCERT Solutions: Class 10th Hindi Book Kshitiz Chapter Wise Questions Answer

अध्याय:- 05. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला. उत्साह और अट नहीं रही कक्षा 10 के हिंदी अध्याय 5. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला. उत्साह और अट नहीं रही के लिए NCERT समाधान सरल चरण-दर-चरण स्पष्टीकरण प्रदान किए गए हैं। उत्साह और अट नहीं रही सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के लिए ये समाधान हिंदी में कक्षा 10 के छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। NCERT Book of Class 10 Hindi Chapter 5 के सभी प्रश्न और उत्तर आपके लिए यहाँ उपलब्ध कराए गए हैं। कक्षा 10 हिंदी के लिए सभी NCERT समाधान।हमें आशा है कि आपको यह लेख पसंद आएगा|

I. उत्साह

Q 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ को क्यों कहता है?

उत्तर- कविता में कवि ने बादलों से रिमझिम बरसने की जगह ‘गरजने’ को कहा है क्योंकि निराला जी एक क्रांतिकारी कवि थे, जिसकी साफ़ झलक उनकी कविताओ मे दिखती है। वह समाज मे एक सकारात्मक बदलाव लाना चाहते है, जिसके लिए ज़रिया बादलो को बनाया।
निराला जी इस शब्द के प्रयोग से कविता मे स्वतः ही जोश, क्रांति, बदलाव और विरोध की भावना को जाग्रत कराना चाहते है।

Q 2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर- इस कविता में कवि ने बादलों के ज़रिए जन सामान्य मे क्रांतिकारी और बदलाव की भावना का सृजन उत्साहपूर्वक किया है और साथ ही हर किसी मे जीवन के प्रति उत्साह रखने की सीख दी है इसलिए कविता का शीर्षक उत्साह है।

Q 3. कविता मे बादल किन- किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर- कविता मे बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है –
कविता मे उत्साह भरता है।
जन सामान्य मे क्रांतिकारी भाव पैदा करता है।
जल बरसाने की शक्ति रखता है।
कोमल कपोलो को नवजीवन प्रदान करता है।
पानी बरसा कर प्राणियों की प्यास को शांत करता है।

Q 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य मे ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद- सौन्दर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऎसे कौन से शब्द है जिनमे नाद सौन्दर्य मौजूद है, छाँटकर लिखिए।

उत्तर-कविता की इन पंक्तियो मे नाद-सौन्दर्यं मौजूद है-
विकल-विकल, उन्मन थे उन्मन।
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित-ललित काले घुँघराले,
बाल कल्पना के से पाले।

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II. अट नहीं रही है

Q.1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन्न के भावो का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।

उत्तर- कविता की निम्नलिखित पंक्तियो को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता मे अन्तर्मन के भावो का बाहरी दुनिया से सामजस्य बिठाया गया है-
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।
आँख हटाता हुँ तो
हट नहीं रही है।

Q.2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?

उत्तर- कवि की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि इस पूरे समयकाल मे प्रकृति की सुंदरता अत्यंत मनमोहक होती है।
पेड़ो पर हरे व लाल रंग की अनेको पत्तियाँ लगी होती है, जो प्रकृति की सुंदरता को और ज्यादा निखारती है।
रंग-बिरंगे फूलो से डालियाँ सजी रहती है जो आसपास अपनी कोमल सुगंध बिखेर कर पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध कर देती है।

Q. 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों मे किया है?

उत्तर- प्रस्तुत कविता मे कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निग्नलिखित रूपों में किया है-
डालियाँ हरी व लाल पत्तियो से भर जाती है।
संपूर्ण वातावरण फूलो की मनमोहक सुगंध से महक उठता है।
हर तरफ हरियाली छा गई है।
हर प्रकृति दृश्य मनमोहक लग रहा है।
कवि अपनी नज़रे प्रकृति की सुंदरता से हटा नहीं पा २हे है।

Q.4. फागुन में एसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओ से भिन्न होता है?

उत्तर-4 फागुन में प्रकृति अपनी सुंदरता का हर मनमोहक रूप सबके समक्ष रख देती है।
डालियाँ हरे व लाल पत्तों से घिर जाती है। पेड़ो पर सजे रंग बिरंगे फूल सुंदरता की अनुपम छ्टा बिखेरते प्रतीत होते है। पशु पक्षियों में भी उत्साह भर जाता है तथा मनुष्य भी प्रकृति प्रेम से सराबोर हो उठता है। इन तमाम कारणों की वजह से फागुन बाकि ऋतिओं से भिन्न होता है।

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Q 5. इन पंक्तियो के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- निराला जी के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ निम्नलिखित है-
मानवीकरण अलंकार के प्रयोग से कवि ने कविता मे जीवन संजो दिया है।
कविता मे तत्सम शब्दों का उचित मात्रा में प्रयोग है।
प्रकृति प्रेम भाव से संपूर्ण होती कविता।
सरल,सहज व प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग।
क्रांतिकारी स्वर के साथ सहज भाषा की सराहनीय कविता।

प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?

उत्तर- बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके उदास-गंभीर मन में जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़ पड़ी हो या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।।
क्यों बच्चे की निश्छलता और पिता की ममता के कारण ही कवि-मन इस तरह प्रभावित होता है। ”

प्रश्न 2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर- कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह इसलिए रखा है, क्योंकि कवि बादलों के माध्यम से क्रांति और बदलाव लाना चाहता है। वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है तो दूसरी ओर लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना है।

प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर- कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है

  1. बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।
  2. यों लगता है मानो झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों।
  3. यों लगता है मानो चट्टानें पिघलकर जलधारा बन गई हों।
  4. यों लगता है मानो बबूल से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।

प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद हैं, छाँटकर लिखें।

उत्तर- ‘उत्साह’ कविता में नाद सौंदर्य वाले शब्द निम्नलिखित हैं
बादल गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!

प्रश्न 5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

उत्तर- ऊपर देखो आसमान में,
किसने रंग बिखेरा काला।
सूरज जाने कहाँ छिप गया,
खो गया उसका कहीं उजाला ॥
देख गगन का काला चेहरा
बिजली कुछ मुसकाई ।
लगा बहाने गगन बनाने,
ज्यों बिजली ने आँख दिखाई ॥
कुछ वसुधा में आन समाया॥
वह लाई एक थाल में पानी,
उसका मुँह धुलवाया।
थोड़ा पानी आसमान में
बाकी सब धरती पर आया ।।
कुछ टपका फूलों पर जाकर
कुछ ने चातक की प्यास बुझाया।
कुछ तालों कुछ फसलों तक

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अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. कवि ने क्रांति लाने के लिए किसका आह्वान किया है और क्यों ?

उत्तर- कवि ने क्रांति लाने के लिए बादलों का आह्वान किया है। कवि का मानना है कि बादल क्रांतिदूत हैं। उनके अंदर घोर गर्जना की शक्ति है जो लोगों को जागरूक करने में सक्षम है। इसके अलावा बादलों के हृदय में बिजली छिपी है।

प्रश्न 2. कवि युवा कवियों से क्या आवान करता है?

उत्तर- कवि युवा कवियों से आह्वान करता है कि वे प्रेम और सौंदर्य की कविताओं की रचना न करके लोगों में जोश और उमंग भरने वाली कविताओं की रचना करें, जो लोगों पर बज्र-सा असर करे और लोग क्रांति के लिए तैयार हो सकें।

प्रश्न 3. कवि ने ‘नवजीवन’ का प्रयोग बादलों के लिए भी किया है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि बादलों को कल्याणकारी मानता है। बादल विविध रूपों में जनकल्याण करते हैं। वे अपनी वर्षा से लोगों की बेचैनी दूर करते हैं और तपती धरती का ताप शीतल करके मुरझाई-सी धरती में नया जीवन फेंक देते हैं। वे धरती को फ़सल उगाने योग्य बनाकर लोगों में नवजीवन का संचार करते हैं।

प्रश्न 4. बादल आने से पूर्व प्राणियों की मनोदशा का चित्रण कीजिए।

उत्तर- जब तक आसमान में बादलों का आगमन नहीं हुआ था, गरमी अपने चरम सीमा पर थी। इससे लोग बेचैन, परेशान और उदास थे। उन्हें कहीं भी चैन नहीं था। गरमी ने उनका जीना दूभर कर दिया था। उनका मन कहीं भी नहीं लग रहा था।

प्रश्न 5. कवि निराला बादलों में क्या-क्या संभावनाएँ देखते हैं?

उत्तर- कवि निराला बादलों में निम्नलिखित संभावनाएँ देखते हैं
बादल लोगों को क्रांति लाने योग्य बनाने में समर्थ हैं।
बादल धरती और धरती के प्राणियों दोनों को नवजीवन प्रदान करते हैं।
बादल धरती और लोगों का ताप हरकर शीतलता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 6. कवि ने बादलों के किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि ने बादलों को ‘आज्ञात दिशा के घन’ और ‘नवजीवन वाले’ जैसे विशेषणों का प्रयोग किया है। कवि उन्हें अज्ञात दिशा के घन इसलिए कहा है क्योंकि बादल किस दिशा से आकर आकाश में छा गए, पता नहीं। इसके अलावा वे धरती और प्राणियों को नवजीवन देते हैं।

प्रश्न 7. ‘कहीं साँस लेते हो’ ऐसा कवि ने किसके लिए कहा है और क्यों?
अथवा
कवि ने फागुन का मानवीकरण कैसे किया है? ।

उत्तर- फागुन महीने में तेज हवाएँ चलती हैं जिनसे पत्तियों की सरसराहट के बीच साँय-साँय की आवाज़ आती है। इसे सुनकर ऐसा लगता है, मानो फागुन साँस ले रहा है। कवि इन हवाओं में फागुन के साँस लेने की कल्पना कर रहा है। इस तरह कवि ने फागुन का मानवीकरण किया है।

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प्रश्न 8. ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ के आलोक में बताइए कि फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?

उत्तर- ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ से ज्ञात होता है कि फागुन में चारों ओर इस तरह सौंदर्य फैल जाता है कि वातावरण मनोरम बन जाता है। रंग-बिरंगे फूलों के खुशबू से हवा में मादकता घुल जाती है। ऐसे में लोगों का मन कल्पनाओं में खोकर उड़ान भरने लगता है।

प्रश्न 9. ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन में उमड़े प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- फागुन का सौंदर्य अन्य ऋतुओं और महीनों से बढ़कर होता है। इस समय चारों ओर हरियाली छा जाती है। खेतों में कुछ फसलें पकने को तैयार होती हैं। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। लताएँ और डालियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। प्राणियों का मन उल्लासमय हुआ जाता है। ऐसा लगता है कि इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य छलक उठा है।

प्रश्न 10. ‘अट नहीं रही है’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन महीने के सौंदर्य का वर्णन है। इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य कहीं भी नहीं समा रहा है और धरती पर बाहर बिखर गया है। इस महीने सुगंधित हवाएँ वातावरण को महका रही हैं। पेड़ों पर आए लाल-हरे पत्ते और फूलों से यह सौंदर्य और भी बढ़ गया है। इससे मन में उमंगें उड़ान भरने लगी हैं।

प्रश्न 11. ‘उत्साह’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि ने ‘उत्साह’ कविता में बादलों का आह्वान करते हुए क्रांति लाने के लिए कहा है। इस कविता में बादलों को क्रांतिदूत मानकर सोए, अलसाए और कर्तव्यविमुख लोगों को क्रांति लाने के लिए प्रेरित किया गया है। इस क्रांति या विप्लव के बिना समाज की जड़ता और कर्तव्यविमुखता में परिवर्तन लाना संभव नहीं है। लोगों में उत्साह भरना ही ‘उत्साह’ कविता का उद्देश्य है।

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