पूर्ति से क्या अभिप्राय है? या एक वस्तु की पूर्ति की परिभाषा दीजिए|
उत्तर:- किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उन मात्राओं से है जिन्हें एक विक्रेता विभिन्न संभव कीमतों पर निश्चित समय में बेचने के लिए तैयार होता है.
पूर्ति की मात्रा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- किसी वस्तु की पूर्ति की मात्रा से अभिप्राय उस मात्रा से है जिसे एक विक्रेता निश्चित समय पर निश्चित कीमत पर वेचने को तैयार होता है.
स्टॉक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- वस्तु की वह मात्रा जो विक्रेता के पास मौजूद होती है, स्टॉक कहलाती है.
पूर्ति अनुसूची से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- जो तालिका पूर्ति तथा कीमत में संबंध प्रकट करती है पूर्ति अनुसूची कहलाती है.
पूर्ति वक्र का ढलान कैसा होता है?
उत्तर:- पूर्ति वक्र का ढलान धनात्मक होता है. अर्थात ये निचे से ऊपर की ओर उठ रहा होता है.
पूर्ति की कीमत लोच का क्या अर्थ है?
उत्तर:- पूर्ति की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी पूर्ति में होने वाले परिवर्तन का माप है.
पूर्ति और स्टाॅक में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर:- किसी वस्तु का स्टाॅक वस्तु की कुल मात्रा को बताता है जो कि किसी समय-विशेष पर बाजार में उपलब्ध है जबकि पूर्ति स्टाॅक का वह भाग है जो विक्रेता एक निश्चित समय में एक निश्चित कीमत पर बेचने को तैयार है।
संयुक्त पूर्ति किसे कहते है ?
उत्तर:- जब एक वस्तु की उत्पादन प्रक्रिया में दूसरी वस्तु या वस्तुएँ स्वतः ही उत्पन्न हो जाएँ तो उन वस्तुओं की पूर्ति को संयुक्त पूर्ति कहा जाता है। जैसे-गेहूँ तथा भूसा आदि।
मिश्रित पूर्ति किसे कहते है ?
उत्तर:- जब एक आवश्यकता की पूर्ति अनेक वस्तुओं द्वारा की जा सकती है तो ऐसी वस्तुएँ मिश्रित पूर्ति वाली वस्तुएँ कहलाती है। जैेसे-सड़कें एवं रेल यातायात ।
पूर्ति का नियम क्या है। उसको प्रभावित करने वाले तत्व का वर्णन कीजिए ?
उत्तर:- अन्य बातों के समान रहते हुए किसी सेवा या वस्तु की कीमत में वृद्वि होने पर उसकी पूर्ति में भी वृद्वि होती है तथा कीमत में कमी होने पर उसकी पूर्ति में भी कमी होती है। अतः पूर्ति का कीमत से सीधा सम्बन्ध होता है।
पूर्ति का नियम कीमत तथा बेची जाने वाली मात्रा के बीच सीधे सम्बन्ध को बताता है। इसलिए जब पूर्ति के नियम को पूर्ति रेखा द्वारा व्यक्त करते है तो पूर्ति रेखा दाएँ को ऊपर की और चढ़ती हुई होती है। ऐसा निम्न कारणों से होता है।
- वस्तुओं की कीमत में वृद्वि होने से विक्रेताओं को लाभ होता है जिससे वे पूर्ति की मात्रा को बढ़ाते है।
- कीमत में कमी होने से विक्रेताओं को हानि होने लगती है जिससे वे वस्तुओं की पूर्ति को कम कर देते है।
पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व कौन से है ?
उत्तर:-
- वस्तु की कीमत – यदि वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उसकी पूर्ति बढ़ जाएगी और वस्तु की कीमत कम होने पर पूर्ति धट जाएगी।
- उत्पादकों की रूचि – यदि उत्पादक एक वस्तु की उपेक्षा दूसरी वस्तु का उत्पादन करना अधिक पसन्द करते हैं तो इससे दूसरी वस्तु की पूर्ति अधिक होगी।
- करारोपण नीति – जब सरकार किसी वस्तु पर अधिक लगाती है तो वह वस्तु महँगी हो जाती है। फलस्वरूप उसकी पूर्ति भी कम हो जाती है।
- तकनीकी ज्ञान – तकनीकी ज्ञान के अधिक प्रयोग करने से वस्तुओं के उत्पादन लागत में कमी आती और उसकी पूर्ति बढ़ जाती है।
- परिवहन व संचार के साधन – परिवहन व संचार के विकसित तथा सस्ते साधनों के उपलब्ध होने से वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जायेगी।
- उत्पादन के साधनों की कीमत – यदि उत्पादन के साधनों की कीमत बढ़ जाती है तो उत्पादन लागत बढ़ जायेगी और वस्तुओं की पूर्ति कम होगी तथा साधनों की कीमत कम हाने पर वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जायेगी।
प्रोद्यौगिकी परिवर्तन का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- जब प्रोद्यौगिकी सुधार होता है तो उससे वस्तु का उत्पादन अच्छा तथा कम लागत पर होने लगता है जिससे उत्पादकों के लाभ में वृद्धि हो जाती है और वे अपने लाभ को बढ़ाने के लिए वस्तु की पूर्ति बढ़ा देते हैं।
आगतों की गुणवत्ता का वस्तु की पूर्ति पर प्रभाव बताइये।
उत्तर:- आगतों की गुणवत्ता में सुधार होने से वस्तु की उत्पादन मात्रा में वृद्धि हो जाती है और उसकी बाजार में पूर्ति भी बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए जब कृषि क्षेत्र में उन्नत किस्म के बीज व खाद का प्रयोग किया जाता है तो कृषि उत्पादन बढ़ जाता है। जब उत्पादन बढ़ता है तो उत्पादक उसकी पूर्ति बढ़ाकर लाभ कमाने का प्रयत्न करता है।
उत्पादन साधनों की कीमतें बढ़ने का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- यदि किसी वस्तु के उत्पादन में संलग्न साधनों की कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु की उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। वस्तु की कीमत अपरिवर्तित रहने पर उत्पादक का लाभ घट जाता है। इस कारण उत्पादन वस्तु का उत्पादन घटा देता है और उसकी पूर्ति भी घट जाती है।
यदि साधनों की कीमतें घट जाती हैं तो उत्पादन लागत घट जाती है। उत्पादक को लाभ ज्यादा होने लगता है अत: वह वस्तु की पूर्ति बाजार में बढ़ा देता है।
भविष्य में यदि किसी वस्तु के मूल्य में और वृद्धि होने की सम्भावना हो तो उसकी पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:- यदि भविष्य में किसी वस्तु के मूल्य में और वृद्धि की सम्भावना हो तो विक्रेता अपनी वस्तु को स्टॉक में रखना चाहेगा जिससे वह मूल्य बढ़ने पर उन वस्तुओं को बेचकर ज्यादा लाभ कमा सके। अत: वर्तमान में उस वस्तु की पूर्ति बाजार में घट जायेगी।
परिवहन लागतें बढ़ने का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- वस्तु की पूर्ति पर परिवहन लागतों का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि परिवहन लागते कम हैं तो इससे उत्पादन लागत – कम आयेगी। अतः उत्पादक अपने लाभ को बढ़ाने के लिए उस वस्तु की पूर्ति को बढ़ा देगा। यदि परिवहन लागतें ज्यादा है। तो वस्तु की पूर्ति कम होगी क्योंकि परिवहन लागतें ज्यादा होने के कारण वस्तु की उत्पादन लागत ज्यादा आएगी और उत्पादक का लाभ घट जायेगा।
पूर्ति का विस्तार एवं संकुचन क्या होता है?
उत्तर:- जब किसी वस्तु की पूर्ति में उसकी कीमत में परिवर्तन के कारण बदलाव होता है तो इसे पूर्ति का विस्तार अथवा संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में पूर्ति की मात्रा में तो परिवर्तन होता है परन्तु पूर्ति वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होता है। उत्पादक पूर्ति को कीमत के अनुरूप समायोजित करता है।
पूर्ति में वृद्धि एवं कमी से क्या आशय है?
उत्तर:- जब किसी वस्तु की पूर्ति में परिवर्तन कीमत में परिवर्तन के कारण नहीं होते बल्कि कीमत के स्थिर रहते हुए अन्य किसी कारण से होता है तो इसे पूर्ति में कमी अथवा वृद्धि कहते हैं। जब कीमत के अतिरिक्त किसी अन्य तत्व में परिवर्तन के कारण पूर्ति कम हो जाती है तो उसे पूर्ति में कमी तथा जब पूर्ति बढ़ जाती है तो उसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं।
इस अवस्था में पूर्ति वक्र बदल जाता है। कमी होने पर पूर्ति वक्र बायीं ओर तथा वृद्धि की स्थिति में दाहिनी ओर खिसक जाता है।
पूर्ति में परिवर्तन तथा पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन में क्या अन्तर है?
उत्तर:- पूर्ति में परिवर्तन से आशय पूर्ति वक्र में परिवर्तन से है। इस अवस्था में पूर्ति वक्र नई स्थिति में आ जाता है। पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन केवले यह स्पष्ट करता है कि उत्पादक कम कीमत पर कम वस्तु बेचने को तैयार होता है तथा ऊँची कीमत पर ज्यादा वस्तु बेचने को तैयार रहता है। इस स्थिति में पूर्ति वक्र में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
सरकार द्वारा लगाये जाने वाले करों का वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- सरकार द्वारा जब किसी वस्तु पर कर लगाया जाता है तो उसकी लागत बढ़ जाती है जिससे उत्पादक को लाभ कम होता है। लाभ कम होने के कारण उत्पादक वस्तु की पूर्ति घटा देता है।
यदि सरकार द्वारा करों में कमी कर दी जाती है तो वस्तु की उत्पादन लागत घट जाती है और उत्पादक को लाभ बढ़ जाता है। इसलिए वह ऐसी वस्तु की पूर्ति को बढ़ाकर अपने लाभ को अधिकतम करने का प्रयास करता है।
क्या त्योहारी अवसरों पर वस्तुओं की पूर्ति ज्यादा होती है? यदि होती है तो क्यों?
उत्तर:- हमारे देश में त्योहारों का अलग ही महत्व है। त्योहारों के अवसर पर वस्तुओं की माँग काफी बढ़ जाती है। इस कारण उत्पादक इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अपनी वस्तु की पूर्ति बढ़ा देते हैं जिससे वे ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकें।
पूर्ति का नियम किन मान्यताओं पर आधारित है? बताइए।
उत्तर:- पूर्ति का नियम अर्थशास्त्र के अन्य नियमों की तरह कुछ मान्यताओं पर आधारित है। ये मान्यताएँ निम्नलिखित हैं –
उत्पादन के सभी साधनों की लागत स्थिर रहनी चाहिए।
उत्पादन तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
वस्तु विशेष विभाज्य होनी चाहिए।
सरकारी कर व अनुदान स्थिर रहने चाहिए।
विक्रेताओं एवं क्रेताओं की आदत, स्वभाव एवं रुचि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहनी चाहिए।
कृषिगत वस्तुओं की पूर्ति हेतु मौसम एवं जलवायु दशाएँ स्थिर रहनी चाहिए।
पूर्ति के नियम की क्रियाशीलता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- पूर्ति का नियम इसलिए क्रियाशील होता है क्योंकि जब वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उत्पादकों को लाभ बढ़ जाता है। अतः उत्पादक और अधिक लाभ कमाने के लिए उस वस्तु की पूर्ति बढ़ा देते हैं।
इतना ही नहीं अधिक लाभ से प्रभावित होकर नये उत्पादक उस क्षेत्र में आ जाते हैं जो पूर्ति को बढ़ा देते हैं। अत: कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है। जब वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो उत्पादकों को लाभ कम हो जाता है। इस कारण वे वस्तु की पूर्ति घटा देते हैं।
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