Short motivational Hindi stories with moral
किसी ने मुझसे पूछा motivational story पढ़ने से क्या होता है. मेने जवाब दिया motivational story पढ़ने से हमे दुसरो की गलतियों का पता चलता है ताकि हम गलती ना करे इसलिए ज्यादा से ज्यादा motivational story को पढ़िए
New motivational story in Hindi:- If you’re searching for motivational stories in Hindi then you are at the right place. Here I’m sharing with you the top 5 motivational stories in Hindi which is really amazing and mind-blowing, these Hindi motivational Stories help you to grow in your life and whatever currier you choose. these motivational stories are for everyone.
दोस्तों नमस्कार आप सभी का स्वागत है All Exam Solutions in Hindi में आज मैं आपको एक ऐसी motivational stories बता रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपकी ऊर्जा पहले जैसी नही रहेगी तो चलिए बिना आपका समय गवाये motivational story को शुरू करते है
1. आखिरी प्रयास
Short Motivational Story In Hindi With Moral : प्राचीन काल की बात है. गढ़ राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया.
राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया.
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें 100 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी.”
100 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा.
पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा.
वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती.
महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया. पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया.
पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 100 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता.
सीख
दोस्तों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं. कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं. जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता. यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये.
2. शिकंजी का स्वाद
Motivational Story In Hindi : एक प्रोफ़ेसर क्लास ले रहे थे. क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे. उनके पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे. लेकिन उन छात्रों के बीच कक्षा में एक छात्र ऐसा भी था, जो चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था.
प्रोफ़ेसर ने पहले ही दिन उस छात्र को नोटिस कर लिया, लेकिन कुछ नहीं बोले. लेकिन जब ४-५ दिन तक ऐसा ही चला, तो उन्होंने उस छात्र को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, “तुम हर समय उदास रहते हो. क्लास में अकेले और चुपचाप बैठे रहते हो. लेक्चर पर भी ध्यान नहीं देते. क्या बात है? कुछ परेशानी है क्या?”
“सर, वो…..” छात्र कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “….मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूँ. समझ नहीं आता क्या करूं?”
प्रोफ़ेसर भले व्यक्ति थे. उन्होंने उस छात्र को शाम को अपने घर पर बुलवाया.
शाम को जब छात्र प्रोफ़ेसर के घर पहुँचा, तो प्रोफ़ेसर ने उसे अंदर बुलाकर बैठाया. फिर स्वयं किचन में चले गये और शिकंजी बनाने लगे. उन्होंने जानबूझकर शिकंजी में ज्यादा नमक डाल दिया.
फिर किचन से बाहर आकर शिकंजी का गिलास छात्र को देकर कहा, “ये लो, शिकंजी पियो.”
छात्र ने गिलास हाथ में लेकर जैसे ही एक घूंट लिया, अधिक नमक के स्वाद के कारण उसका मुँह अजीब सा बन गया. यह देख प्रोफ़ेसर ने पूछा, “क्या हुआ? शिकंजी पसंद नहीं आई?”
“नहीं सर, ऐसी बात नहीं है. बस शिकंजी में नमक थोड़ा ज्यादा है.” छात्र बोला.
“अरे, अब तो ये बेकार हो गया. लाओ गिलास मुझे दो. मैं इसे फेंक देता हूँ.” प्रोफ़ेसर ने छात्र से गिलास लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. लेकिन छात्र ने मना करते हुए कहा, “नहीं सर, बस नमक ही तो ज्यादा है. थोड़ी चीनी और मिलायेंगे, तो स्वाद ठीक हो जायेगा.”
यह बात सुन प्रोफ़ेसर गंभीर हो गए और बोले, “सही कहा तुमने. अब इसे समझ भी जाओ. ये शिकंजी तुम्हारी जिंदगी है. इसमें घुला अधिक नमक तुम्हारे अतीत के बुरे अनुभव है. जैसे नमक को शिकंजी से बाहर नहीं निकाल सकते, वैसे ही उन बुरे अनुभवों को भी जीवन से अलग नहीं कर सकते. वे बुरे अनुभव भी जीवन का हिस्सा ही हैं. लेकिन जिस तरह हम चीनी घोलकर शिकंजी का स्वाद बदल सकते हैं. वैसे ही बुरे अनुभवों को भूलने के लिए जीवन में मिठास तो घोलनी पड़ेगी ना. इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अब अपने जीवन में मिठास घोलो.”
प्रोफ़ेसर की बात छात्र समझ गया और उसने निश्चय किया कि अब वह बीती बातों से परेशान नहीं होगा.
सीख
जीवन में अक्सर हम अतीत की बुरी यादों और अनुभवों को याद कर दु:खी होते रहते हैं. इस तरह हम अपने वर्तमान पर ध्यान नहीं दे पाते और कहीं न कहीं अपना भविष्य बिगाड़ लेते हैं. जो हो चुका, उसे सुधारा नहीं जा सकता. लेकिन कम से कम उसे भुलाया तो जा सकता है और उन्हें भुलाने के लिए नई मीठी यादें हमें आज बनानी होगी. जीवन में मीठे और ख़ुशनुमा लम्हों को लाइये, तभी तो जीवन में मिठास आयेगी.
3. हार गया लेकिन खुद से जीत गया
हरीश नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था
वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था
परंतु वह किसी भी race को पूरा नही करता था
एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह race पूरी जरूर करेगा
अब रेस शुरू हुई
हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे 2
सारे धावक आगे निकल रहे थे
मगर अब हरीश थक गया था
वह रुक गया
फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो
कम से कम चल तो सकता हु
उसने ऐसा ही किया वह धीरे 2
चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था
अब वह बहुत ज्यादा थक गया था
और नीचे गिर पड़ा
उसने खुद को बोला
की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा
वह जिद करके वापस उठा
लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया
माना कि वह रेस हार चुका था
लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले
race को कभी पूरा ही नही कर पाया था
वह जमीन पर पड़ा हुआ था
क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था
लेकिन आज वह बहुत खुश था
क्योंकि
आज वह हार कर भी जीता था
motivational story in hindi for success
दोस्तों हम भी तो इस तरह की गलती करते है हमारी life में
कभी भी अगर कोई परेशानी होती है तो उस काम को नही करते और छोड़ देते है
अगर आप एक student हो और रोज 10 hr की study करते हो
और किसी दिन कोई परेशानी की वजह से आप पढ़ाई नही करते मगर आपको
भले ही 5 hr मिले पढ़ना जरूर चाहिए
हरीश की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम
लगातार आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हम हारकर भी जीत
जाएंगे
छोटे छोटे कदम बढ़ाते जाओ और आगे बढ़ते जाओ
यही सफलता का नियम है
4.परिस्थितियों को दोष देना
कुछ लोग हमेशा परिस्थितियों को ही दोष देते है
यह motivational story ऐसी है
जिसको सुनकर आपकी आंखें खुल सकती है
इस कहानी को जल्दी से जल्दी शुरू करते हैं
काफी समय पहले की बात है दोस्तों
एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था
वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है
अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते
और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे
मतलब ब्लेम कर रहा था
कि यह होता तो वो होता और वो होता तो शायद ऐसा होता
ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है
उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि
पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक
विचार-विमर्श करता रहा खुद से
फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी दिखाई दी इसके बाद कहीं से
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो
5. ईमानदारी का फल
नमस्कार दोस्तो आप सभी का स्वागत है
आज की ये motivational story
ईमान का ज्ञान बताएगी
तो चलिए शुरू करते है
काफी समय पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था वहाँ का राजा बहुत अच्छा था
मगर राजा को एक सुख नही था
वह यह कि उसके कोई भी संतान नही थी
और वह चाहता था कि अब वह राज्य के अंदर किसी योग्य बच्चे को गोद ले
ताकि वह उसका उत्तराधिकारी बन सके और आगे की बागडोर को सुचारू रूप से चला सके
और इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी
की सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाये
ऐसा ही हुआ
राजा ने सभी बच्चो को पौधे लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के बीज दिए
और कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा होगा
महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले में वह बीज अभी तक नही फूटा था
लेकिन वह रोज उसकी देखभाल करता था और रोज पौधे को पानी देता था
देखते ही देखते 3 महीने बीत गए
बच्चा परेशान हो गया
तभी उसकी माँ ने कहा कि बेटा धैर्य रखो कुछ बीजो को फलने में ज्यादा वक्त लगता है
और वह पौधे को सींचता रहा
6 महीने हो गए राजा के पास जाने का समय आ चुका था
लेकिन वह डर हुआ था कि सभी बच्चो के गमलो में तो पौधे होंगे और उसका गमला खाली होगा
लेकिन वह बच्चा ईमानदार था
और सारे बच्चे राजमहल में आ चुके थे
कुछ बच्चे जोश से भरे हुए थे
क्योंकि उनके अंदर राज्य का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल लालसा थी
अब राजा ने आदेश दिया सभी बच्चे अपने अपने गमले दिखाने लगे
मगर एक बच्चा सहमा हुआ था क्योंकि उसका गमला खाली था
तभी राजा की नजर उस गमले पर गयी
उसने पूछा तुम्हारा गमला तो खाली है
तो उसने कहा लेकिन मैंने इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की है
राजा उसकी ईमानदारी से खुश था कि उसका गमला खाली है फिर भी वह हिम्मत करके यहाँ आ तो गया
सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उस बच्चे को सभी के सामने बुलाया बच्चा सहम गया
और राजा ने वह गमला सभी को दिखाया
सभी बच्चे जोर से हसने लगे
राजा ने कहा शांत हो जाइये
इतने खुश मत होइए
आप सभी के पास जो पौधे है वो सब बंजर है आप चाहे कितनी भी मेहनत कर ले उनसे कुछ नही निकलेगा
लेकिन असली बीज यही था
राजा उसकी ईमानदारी से बेहद खुश हुआ
और उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया
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इस कहानी से क्या सीखने को मिला
मेरे हिसाब से
अपने अंदर ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है
अगर हम खुद के साथ ईमानदार है तो जीवन के किसी न किसी पड़ाव में सफल हो ही जाएंगे
क्योंकि हमारी औकात हमे ही पता होती है
हम खुद को पागल बनाकर खुद का ही नुकसान करते है.
Gutentor Simple Text
Gutentor Simple Text
Very nice stories.