What is indian constitution संविधान क्या है? संविधान की परिभाषा? हमें संविधान की आवश्यकता क्यों पडती है? संविधान से आपका क्या अभिप्राय है?
संविधान क्या है :-
संविधान का अर्थ :-
संविधान से हमारा अभिप्राय उस लिखित या अलिखित नियमों,कानूनों और परम्पराओ के समहू से है , जिसके अनुसार किसी देश का शासन प्रबंध संचालित किया जाता है | इसमें उस देश की शासन व्यवस्था के स्वरूप , सरकार के विभिन्न
अंगो की सरंचना , उनकी शक्तियां और कार्य , राज्य में लोगो के मध्य सम्बन्ध , नागरिको के अधिकार और कर्तव्य शामिल किये जाते है.
संविधान की परिभाषा :-
विभिन विद्वानों ने अपने- अपने विचारानुसार संविधान की परिभाषा दी है. उनमे से कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित है:-
1.वुल्जे के अनुसार:-
“संविधान उन नियमों का वह समूह है जिसके अनुसार सरकार की शक्तियां , प्रजा के अधिकार और उन दोनों के परस्पर संबध को निश्चित किया जाता है.”
2. मिस्टर कुले के अनुसार :-
“संविधान नियमों और परम्परों का वह समूह है जिसके अनुसार प्रभुसत्ता की शक्तिओं का स्वभाविक रूप से प्रयोग किया जाता है.”
3. प्रो. डायसी के अनुसार:-
“उन सभी नियमों का समूह जिसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सत्ता का विभाजन और प्रयोग किया जाता है, उससे राज्य का संविधान कहा जाता है.”
4. लार्ड ब्राइस के अनुसार:-
“संविधान में वे कानून या नियम समिलित होते है जिनके अनुसार सरकार के रूप और नागरिकों के प्रति उसके अधिकार और कर्तव्य और इसके प्रति नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य निश्चित किये जाते है.”
5. प्रो. लास्की के विचारानुसार:-
“नियमों का वह भाग संविधान कहलाता है जिनके द्वारा यह निश्चित किया जाता है कि – (i. ऐसे नियम किस प्रकार निर्मित किये जाएँ , ii. कौन- सी विधि से इनमे परिवर्तन किया जाएँ , iii. और उनका निर्माण कौन कर्रें ).”
2. हमें संविधान की आवश्यकता क्यों पडती है:-
वर्तमान युग में प्रत्येक राज्य के लिए सम्विधान का होना आवश्यक है. आधुनिक युग में संविधान के विना राज्य का अस्तित्व संभव नही है. वर्तमान समय शासन का संचालन शासकों की इच्छाओं और भावनाओं के अनुसार नही किया जाता है वल्कि प्रशासन का प्रवंध निश्चित नियमों व कानूनों के अनुसार किया जाता है. संवेधानिक सरकार कुछ व्यक्तिओं की सरकार नही होती वल्कि कानूनों की सर्कार होती है. वर्तनाम लोकतंत्रीय युग के प्रत्येक राज्य में संविधान का होना उसकी प्रमूख विशेषता मानी जाती है. यह ऐसे मौलिक नियमों और सिधान्तों का समूह होता है. जिनके अनुसार शासन – प्रवंध किया जाता है. आधुनिक प्रजातंत्रीय युग में संविधान के विना किसी देश के शाशन प्रवंध का संचालन करना बहुत कठिन है.
प्रो. जैलिनेक का कहना है कि, “संविधान के विना राज्य , राज्य नहीं वल्कि अराजकता का शासन होगा .”
संविधान का अस्तित्व निरंकुश शासकों की असीमित शक्तिओं का एक निरंतर प्रतिवंध होता है. यदि संविधान किसी निश्चित रूप में नही होगा तो शासक अपनी मनमानी करेंगे और नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रताए शासक की दया पर
निर्भर होगी इसलिए जनता के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को सुरक्षित रखने के लिए , शासकों को मनमानी करने से रोकने के लिए शासन प्रवंध को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए संविधान का होना बहुत जरूरी है.
- HP Police Recruitment 2024: हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल के 1088 पदों पर भर्ती
- Free Mkan Loan Yojana: घर बनाने के लिए दी जाती है 02 लाख की आर्थिक सहायता
- Free Gas Chulha Yojana: गरीब परिवारों के लिए राहत, फ्री गैस कनेक्शन पाने का सुनहरा मौका! आवेदन करें आज ही!
- Free Computer Course Yojana 2024: सरकार फ्री में करवा रही ये कंप्यूटर कोर्स, सभी युवाओं को मिलेगा इसका लाभ
- Rojgar Loan Yojana 2024: केंद्र सरकार की तरफ से दिया जा रहा 10 लाख तक का लोन