Motivational Stories in Hindi सफलता की कहानियां 2021
दोस्तों नमस्कार आप सभी का स्वागत है All Exam Solutions in Hindi में आज मैं आपको एक ऐसी motivational stories बता रहा हूँ जिसे पढ़ने के बाद आपकी ऊर्जा पहले जैसी नही रहेगी तो चलिए बिना आपका समय गवाये motivational story को शुरू करते है
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Motivational story in Hindi सोच बदलने वाली
प्रेरक कहानी हिंदी में: – यदि आप हिंदी में प्रेरक कहानियों की खोज कर रहे हैं तो आप सही जगह पर हैं। यहाँ मैं आपके साथ हिंदी की शीर्ष 5 प्रेरक कहानियाँ साझा कर रहा हूँ जो वास्तव में अद्भुत और मन को लुभाने वाली हैं, ये हिंदी प्रेरक कहानियाँ आपको अपने जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती हैं और जो भी आप चुनते हैं, उसमें बाधा डालती हैं। ये प्रेरक कहानियाँ सभी के लिए हैं।
1. Motivational Story In Hindi – इश्वर के गुलाम
सतपाल शोझा के राजा थे। सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे संतो का सत्संग करने लगे। घनघोर जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा ।
अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह आवाज सुनते ही संत सतपाल की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्हें लगा कि राजपाठ के दौरान अपने को बड़ा मानकर उन्होंने बहुत गुनाह किया है। वे ईश्वर से उन गुनाहों की माफी माँगने लगे।
एक दिन वे राजपाट त्यागकर चल दिए । हरिपुर की गुफा में एकांत साधना कर उन्होंने काम, क्रोध, लोभ आदि आंतरिक दुश्मनों पर विजय पाई। वे काशी यात्रा पर भी गए और काशी में भी पहुँचे हुए संतो का सत्संग करते रहे।
एक दिन वे किसी नगर में जा रहे थे कि चौकीदार ने पूछा, ‘तू कौन है?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘गुलाम । ‘ उस चौकीदार ने फिर पूछा, ‘तू कहाँ रहता है, तो इस बार जवाब मिला, ‘शमशान में ।’
सिपाही ने उन्हें मसखरा समझकर कोड़े लगा दिए, पर जैसे ही उसे पता चला कि वे पहुँचे हुए संत सतपाल हैं, तो वह उनके पैरों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। संत ने कहा, ‘इसमें आखिर क्षमा माँगने की क्या बात है? तूने ऐसे शरीर को कोड़े लगाए हैं, जिसने बहुत वर्षों तक गुनाह किए हैं। ‘
कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘सारे मनुष्य इश्वर के गुलाम हैं और गुलामों का अंतिम घर तो शमशान ही होता है।’
2. Motivational Story In Hindi – मौत का भय
पद्म पुराण में कहा गया है, ‘जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।’
जैन संत आचार्य तुलसी एक बोधकथा सुनाया करते थे एक मछुआरा समुद्र से मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके पास आकर बैठा। उसने पूछा, ‘मित्र, क्या तुम्हारे पिता है?’
उसने जवाब दिया, ‘नहीं, उन्हें समुद्र की एक बड़ी मछली निगल गई।’ उसने फिर पूछा, ‘और तुम्हारा बड़ा भाई ? ‘ मछुआरे ने जवाब दिया, ‘नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र में समा गया।’
वणिक ने फिर पूछा, ‘दादाजी और चाचाजी की मृत्यु कैसे हुई ?’ मछुआरे ने बताया कि वे भी समुद्र में लीन हो गए थे। वणिक ने यह सुना, तो बोला, ‘मित्र, यह यमुद्र तुम्हारे विनाश का कारण है, बावजूद इसके तट पर आकर जाल डालते हो। क्या तुम्हें मरने कर भया नहीं है ??
मछुआरा बोला, ‘भैया, मौत जिस दिन आनी होगी, आएगी ही। तुम्हारे घरवालों में से दादा, परदादा, पिता में से शायद ही कोई इस समुद्र तक आया होगा। फिर भी वे सब चल बसे । मौत कब आती है और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ सका है। फिर मैं बेकार ही मौत से क्यों डरूँ??
भगवान् महावीर ने कहा था, ‘नाणागमो मच्चुमुहस्य अत्थि’ यानी मृत्यु किसी भी द्वार से आ सकती है, इसलिए आत्मज्ञानी ही मौत के भय से बचा रह सकता है।
3. Motivational Story In Hindi – ज्ञान का ढिंढोरा
आध्यात्मिक विभूति श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार से मिलने कलकत्ता के एक धनाढ्य परिचित पहुँचे। उन्होंने कहा, ‘जब मैं किसी तीर्थ में जाता हूँ, तो दान अवश्य करता हूँ।’ उन्होंने एक अखबार भी दिखाया, जिसमें किसी को कपड़े दान करते हुए उनका चित्र छपा था।
पोद्दारजी ने कहा, ‘तुमने तो अपने दान को एक ही दिन में निष्फल बना डाला, जबकि दान का पुण्य तो लंबे समय तक मिलता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि जो प्रशंसा या किसी बदले की इच्छा से दान करता है, वह उसका पुण्य फल कदापि नहीं प्राप्त कर सकता।’
उन्होंने कुछ क्षण रुककर कहा, ‘पद्मपुराण में कहा गया है कि मानव को धन-संपत्ति भगवान् की कृपा से प्राप्त होती है, इसलिए इसका उपयोग अपने परिवार के पालन-पोषण में सतर्कता से करना चाहिए।
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उसका अत्यधिक भाग यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों और अभावग्रस्त लोगों की सेवा – सहायता में लगाना चाहिए। यह मानकर दान करना चाहिए कि भगवान् की चीज भगवान् को ही अर्पित की जा रही है।
यदि कोई अहंकार में अपने को बड़ा धर्मात्मा प्रकट करने के लिए दान करता है, तो वह पुण्य की जगह पाप का भागी बनता है। ‘ पोद्दारजी कहते हैं, ‘जो व्यक्ति निष्काम सेवा सहायता करता है, प्रभु उसी पर कृपा-दृष्टि रखते हैं।
जो आदमी लालसा में सेवा का प्रदर्शन करता है, उसे ढोंग मानना चाहिए। इसलिए कहा गया है कि एक हाथ से किसी को दान देते वक्त दूसरे हाथ को भी इसका पता नहीं चलना चाहिए । गुप्तदान को शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ दान माना गया है।’
4. Motivational Story In Hindi – गुरु का सम्मान
श्रीराम कथा की विशिष्ट काव्य शैली में रचना करनेवाले पंडित राधेश्याम कथावाचक संत-महात्माओं के सत्संग के लिए लालायित रहा करते थे। संत उड़िया बाबा, श्री हरिबाबा, आनंदमयी माँ तथा संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के प्रति वे अनन्य श्रद्धा भाव रखते थे।
प्रभुदत्त ब्रह्मचारीजी की प्रेरणा से उन्होंने महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को अपना गुरु बनाया था। पंडित राधेश्यामजी मालवीयजी के श्रीमुख से भागवत कथा सुनकर भाव विभोर हो उठते थे |
मालवीयजी को भी राधेश्यामजी की लिखी रामायण का गायन सुनकर अनूठी तृप्ति मिलती थी । वे समय-समय पर उन्हें बरेली से काशी आमंत्रित कर उनकी कथा का आयोजन कराते थे ।
एक बार गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पंडित राधेश्यामजी ने संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के साथ काशी पहुँचकर अपने गुरु मालवीयजी को एक कीमती शॉल व मिठाइयाँ भेंट कीं।
मालवीयजी को आग्रहपूर्वक शॉल ओढ़ाया गया। यह शॉल उन्होंने विशेष रूप से गुरु दक्षिणा के लिए तैयार कराया था। कुछ समय बाद अचानक हिंदू विश्वविद्यालय के दक्षिण भारतीय संस्कृत शिक्षक मालवीयजी के दर्शन के लिए आ पहुँचे।
मालवीयजी उनके विरक्त व तपस्वी जीवन से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने शिक्षक की ओर संकेत कर राधेश्याम कथावाचक से कहा, ‘ इन्होंने कठोर साधना कर असंख्य छात्रों को देववाणी और धर्मशास्त्रों का अध्ययन कराया है। ऐसे तपस्वी शिक्षक हमारे आदर्श हैं।’
कहते-कहते उन्होंने वह शॉल उन्हें ओढ़ा दिया। राधेश्यामजी उनकी विरक्ति भावना और आदर्श शिक्षक के प्रति श्रद्धा देख दंग रह गए।
5. Motivational Story In Hindi – नैतिक शिक्षा का महत्त्व
आचार्य विनोबा भावे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने विभिन्न धर्मों, मत-मतांतरों के साहित्य का अध्ययन किया था। बड़े-बड़े शिक्षाविद् ज्ञान का लाभ अर्जित करने उनके पास आया करते थे । विनोबाजी संस्कारों को सबसे बड़ी धरोहर मानते थे ।
एक बार महाराष्ट्र के किसी विश्वविद्यालय में उन्हें आमंत्रित किया गया। विनोबाजी वहाँ पहुँचे। उन्होंने प्राचार्य से बातचीत के दौरान पूछा, ‘विश्वविद्यालय में किस किस विषय के अध्ययन की व्यवस्था है ?’
उन्हें बताया गया कि विभिन्न भाषाओं, गणित, विज्ञान तथा अन्य विषयों का अध्ययन कराया जाता है। विनोबाजी ने पूछा, ‘क्या छात्रों को नैतिक शिक्षा देने की भी व्यवस्था है ?’
उन्हें बताया गया कि ऐसी व्यवस्था नहीं है । विनोबाजी ने पूछा, ‘क्या छात्रों को केवल धनार्जन के योग्य बनाने की शिक्षा देना ही पर्याप्त है ? क्या उन्हें सच्चा मानव, सच्चा भारतीय बनाना आप आवश्यक नहीं समझते?
यदि छात्रों को अच्छे संस्कार नहीं दिए गए, उन्हें अच्छा मानव बनाने का प्रयास नहीं किया गया, तो युवा पीढ़ी अपनी प्रतिभा व शक्ति का राष्ट्र व समाज के हित में ही सदुपयोग करेगी, इसकी क्या गारंटी है ?
मेरे विचार में तो सबसे पहले बच्चों व युवक-युवतियों को आदर्श मानव बनने के अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए । संस्कारहीन व्यक्ति तो ‘धनपिशाच’ बनकर समाज को गलत दिशा में ही ले जाने का कारण बनेगा। ‘ विनोबाजी की प्रेरणा से विश्वविद्यालय में छात्रों को नैतिक शिक्षा दी जाने लगी ।
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Thank you for Reading these motivational Story in Hindi I’m sure it will help you to grow in your life and also it will change your mindset these motivational stories come form lots of mindset of successful people.
Very nice stories. Keep sharing.