Major Rivers of Himachal Pradesh | हिमाचल प्रदेश की सम्पूर्ण प्रमुख नदियाँ

Major Rivers of Himachal Pradesh | हिमाचल प्रदेश की सम्पूर्ण प्रमुख नदियाँ

हिमाचल प्रदेश राज्य से होकर निम्नलिखित पांच प्रमुख नदियाँ बहती है | जो सिन्धु और गंगा दोनों ही नदी घाटियों को जल प्रदान करती है.

Table of Contents
  1. Major Rivers of Himachal Pradesh | हिमाचल प्रदेश की सम्पूर्ण प्रमुख नदियाँ
  2. सिन्धु नदी (Indus river) को जल प्रदान करने वाली नदिओं के नाम
  3. गंगा नदी (Ganga river) को जल प्रदान करने वाली नदी का नाम
  4. सिन्धु नदी अपवाह तंत्र:
  5. व्यास नदी (Vyaas river):
    1. See Also:- हिमाचल प्रदेश समान्य ज्ञान | HP GK | Himachal Pradesh GK General Knowledge
  6. व्यास नदी की सहायक नदियाँ (Tributaries of Vyaas):
  7. व्यास नदी के मुख्य तथ्य :
  8. चिनाब नदी (Chenab river):
    1. See Also:- HP GK, Himachal Pradesh General Knowledge Questions
  9. चिनाव नदी की सहायक नदियाँ –
  10. चिनाव नदी के मुख्य तथ्य:
  11. सतलुज नदी (Satluj River):
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  13. सतलुज की सहायक नदियाँ (Tributaries of Satluj):
  14. सतलुज नदी के मुख्य तथ्य:
  15. रावी नदी (Ravi river):
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  17. रावी नदी की सहायक नदियाँ (Tributaries of Ravi):
  18. रावी नदी के मुख्य तथ्य:
  19. गंगा नदी अपवाह तंत्र:
  20. यमुना नदी (Yamuna river):
  21. यमुना की सहायक नदियाँ (Tributaries of Ravi):
  22. यमुना नदी के मुख्य तथ्य:
    1. See Also:- HIMACHAL PRADESH GK
    2. See Also:- Himachal Pradesh General Knowledge GK

सिन्धु नदी (Indus river) को जल प्रदान करने वाली नदिओं के नाम

व्यास
चिनाब
सतलुज
रावी

गंगा नदी (Ganga river) को जल प्रदान करने वाली नदी का नाम

यमुना

सिन्धु नदी अपवाह तंत्र:

हिमाचल प्रदेश की अधिकतर नदियां सिन्ध नदी अपवाह तंत्र की है, जिनमें सतलुज, व्यास, रावी, और चिनाव प्रमुख हैं। ये नदियां सिन्धु घाटी में मिलकर आगे प्रवाहित होती हुई अरब सागर में गिरती है

व्यास नदी (Vyaas river):

व्यास नदी वेदों में आर्जीकीया और संस्कत में विपाशा के नाम ये वर्णित है। यह नदी पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला से रोहतांग दर्रे के समीप सिकंड में निकलती है। व्यास नदी के दो स्रोत है व्यास ऋषि और व्यास कुंड।

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व्यास नदी हिमाचल प्रदेश में 256 कि.मी. की दुरी तय करती है.इसका जल ग्रहण क्षेत्र 1200 वर्ग कि.मी. है.
बजौरा नामक स्थान पर यह नदी जिला मंडी में प्रवेश करती है, और सन्धोल में मंडी जिला छोड़कर कांगड़ा जिला में प्रवेश करती है. कांगड़ा जिला के इंदौरा और मिर्थल के मध्य यह नदी पूर्व से पश्चिम की और वहती है.
कांगड़ा जिला के मीरथल नामक स्थान पर पंजाब में प्रवेश करती है.
पंजाब के फिरोजपुर जिले के हरी का पत्तन नामक स्थान पर सतलुज में विलीन हो जाती है।

व्यास नदी की सहायक नदियाँ (Tributaries of Vyaas):

कुल्लू जिले में पार्वती, पिन, मलाणा नाला, सोलंग, मनालस, फोजल और सरवरी इसकी सहायक नदियां हैं। मण्डी जिले में उहल, ज्यूणी, रमाबिना, हंसा, तीर्थन, बाखली, सुकेती, पनोडी, सोन और बढेड इसकी सहायक नदियां हैं। हमीरपुर में कुणाह और मान तथा कांगड़ा में बिनवा, न्यूगल, बाणगंगा, बनेर, गज, मनूणी व चक्की इसकी सहायक नदीया हैं।

व्यास नदी के मुख्य तथ्य :

वैदिक नाम – आर्जीकीया
संस्कृत नाम – विपाशा
उदगम स्थल – रोहतांग दर्रे के समीप व्यास कुंड से
जल अधिग्रहण क्षेत्र – 1200 वर्ग कि.मी.
कुल लम्बाई – 460 कि.मी.
हिमाचल प्रदेश में लम्बाई – 256 कि.मी.
विद्युत परियोजनाएं यहाँ देखे
सबसे बड़ी सहायक नदी – पार्वती नदी
व्यास नदी ‘मिरथल‘ नामक स्थान पर पंजाब में प्रवेश करती है।

चिनाब नदी (Chenab river):

चिनाव नदी को वेदों में ‘आसकिनी’ के नाम से वर्णित किया गया है। इसका उदगम् बृहत् हिमालय पर्वत श्रृंखला के ‘वारालाचा’ दरें (4891 मी.) की ऊँचाई से होता है। चिनाव नदी बारालाचा दर्रे की विपरीत दिशाओ से निकलने वाली दो नदी धाराओं- चंद्रा और भागा के तांडी(लाहौल) नामक स्थान पर मिलने से बनती है।

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हिमाचल प्रदेश में चिनाव नदी 122 कि. मी की दुरी तय करती है. इसका जल ग्रहण क्षेत्र 7500 वर्ग कि.मी. है।और यह पांगी घाटी के भुजिंड नामक स्थान पर चंबा जिले में प्रवेश करती है तथा संसारी नाला में चंबा जिला को छोड़कर कश्मीर की पोडर घाटी में प्रवेश कर जाती है.
जल घनत्व की दृष्टि से यह हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है.

चिनाव नदी की सहायक नदियाँ –

मियार नाला और सैचर नाला इसकी सहायक नदियाँ है.

चिनाव नदी के मुख्य तथ्य:

वैदिक नाम – आसकिनी
संस्कृत नाम – चंद्राभागा
उद्गम स्थल – बारालाचा दर्रे की विपरीत दिशाओ से निकलने वाली दो नदी धाराओं- चंद्रा और भागा के तांडी(लाहौल) नामक स्थान पर मिलने से बनती है.
कुल लम्बाई – 7850 कि.मी
हिमाचल में लम्बाई – 122 कि.मी
जल ग्रहण क्षेत्र – 7500 वर्ग कि.मी.
सहायक नदी – मियार नाला, सैचर नाला
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पांगी घाटी के संसारी नाले के पास हिमाचल को छोड़ती है।

सतलुज नदी (Satluj River):

सतलुज नदी को वेदों में शुतुद्रि तथा संस्कृत में शतद्रु के नाम से वर्णित किया गया है। सतलुज के अन्य नाम मुकसंग, सम्पू, जुगटी, सुमुद्रग, सुतूद्रा आदि हैं। सतलुज नदी कैलाश पर्वत के दक्षिण में मानसरोवर के मानतलाई झील (तिब्बत) से निकलती है। यह नदी अपनी उद्गम स्थान से लगभग 400 कि.मी. की दूरी तय करने के बाद जासकर और वृहत हिमालय को काटती हुई शिपकी दरें के पास हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।

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सतलुज नदी हिमाचल प्रदेश में 320 कि.मी. की दुरी तय करती है. इसका जल ग्रहण क्षेत्र 20000 वर्ग कि.मी है. यह हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है.
किनौर जिला की शिपकिला (6608 मी.) नामक स्थान में हिमामचल प्रदेश में प्रवेश करती है.
चौरा नामक स्थान पर शिमला जिला में प्रवेश करती है.
कसोल नामक स्थान में बिलासपुर जिला में प्रवेश करती है.
भाखड़ा नामक स्थान पर हिमाचल प्रदेश को छोड़कर पंजाब में प्रवेश कर जाती है.
एशिया का सबसे ऊँचा बांध ( भाखड़ा बांध)इस नदी पर 1963 में बनाया गया है।
हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी कृत्रिम झील- गोविन्द सागर झील भी इसी नदी पर स्थित है.
यह नदी अंततः सिन्धु नदी में विलीन हो जाती है.

सतलुज की सहायक नदियाँ (Tributaries of Satluj):

किन्नौर जिले में सतलुज के दाईं और से स्पीति, पेजर (तेती), काशंग मुलगून, वांगर, शोरंग और रूपी तथा सतलुज के बाई ओर तिरंग, ज्ञानथिंग, बास्पा, आदि सतलुज की सहायक नदी है। किन्नौर जिले में सतलुज की सबसे बड़ी सहायक नदी स्पीति है, जो की नामगीया नामक स्थान पर इसमें मिल जाती है।

सतलुज नदी के मुख्य तथ्य:

वैदिक नाम – सुतुद्रि
संस्कृत नाम – शतद्रु
उद्गम स्थल – तिब्बत में मानसरोवर झील के समीप राक्सताल झील से
तिब्बत में – लेनगजेग जैनगपो (ElephantRiver) के नाम से जानी जाती है
जल अधिग्रहण क्षेत्र – 20,000 वर्ग कि.मी
कुल लम्बाई – 1488 कि.मी (प्रदेश कि सबसे लम्बी नदी)
हिमाचल में लम्बाई – 320 कि.मी
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सहायक नदियाँ – बसपा, स्पीती, नोगली, काशंग मुलगून आदि.
यह नदी खूनी नदी के रूप में भी जानी जाती है।
इस नदी में एशिया का सबसे ऊँचा बांध ( भाखड़ा ) बनाया गया है।
भाखड़ा बांध बनाने से प्रदेश की सबसे बड़ी कृत्रिम झील, गोविन्द सागर झील बनी है।
1964 में इस नदी पर एशिया का सबसे ऊँचा पुल कन्द्रौर नामक स्थान पर बनाया गया है, इस पुल कि लम्बाई 280 मी., ऊंचाई 80 मी, और 7 मीटर चौड़ा है।
इसके किनारे तत्तापानी में गर्म पानी के चश्में स्थित है।

रावी नदी (Ravi river):

रावी नदी का वैदिक नाम ‘परुष्णी‘ और संस्कृत नाम ‘इरावती है। यह नदी धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बड़ा भंगाल क्षेत्र के भादल और तांतगिरी नामक दो हिमखंडों से निकलती है। स्थानीय भाषा में इसे रोती भी कहते है। इस नदी का कुल जल अधिग्रहण क्षेत्र 5451 वर्ग कि.मी. है इसकी कुल लम्बाई 720 कि.मी. है तथा हिमाचल में इसकी लम्बाई 158 कि.मी. है।

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चंबा शहर इस नदी के दाएं किनारे पर स्थित है तथा खेरी नामक स्थान पर चंबा छोड़कर जम्मू कश्मीर मर प्रवेश कर जाती है.
यह पीर पंजाल शृंखलाओ को धौलाधार से अलग कर करती है. पाकिस्तान में यह चिनाव नदी में विलीन हो जाती है.

रावी नदी की सहायक नदियाँ (Tributaries of Ravi):

छतराडी, बोदिल, टुण्हेदन, वलजेडी, साल और स्यूल इत्यादि हैं। रावी नदी की मूलधारा बड़ा भंगाल से निकलकर चुराह के निचले क्षेत्र के चौहडा नामक स्थान पर विशाल नदी का रूप धारण करती है।

रावी नदी के मुख्य तथ्य:

वैदिक नाम – परुष्णी
संस्कृत नाम – ईरावती
उद्गम स्थान –बड़ा भंगाल (कांगड़ा) में भादल और तान्तगिरी नामक नामक हिमखंडो के द्वारा सयुंक्त रूप से बनती है.
जल अधिग्रहण – 5451 कि.मी
कुल लम्बाई – 720 कि.मी
हिमाचल में लम्बाई – 158 कि.मी
सहायक नदियाँ – भादल, सियूल,बैरा, तान्तगिरी, चिडचिंद नाला.
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यह नदी पीर पंजाल श्रेणी को धौलाधार श्रेणी से अलग करती है।
अलैक्जेंडर ने इसे “रोहुआडिस” कहा है।

गंगा नदी अपवाह तंत्र:

हिमाचल से प्रवाहित होन वाली यमुना व इसकी सहायक नदियां गंगा से मिलकर आगे प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

यमुना नदी (Yamuna river):

वेदों में कालिंदी के नाम से वर्णित नदी यमुना उत्तराखंड के उत्तरकाशी नामक स्थान के कालिन्द पर्वत के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। इस नदी का पौराणिक सम्बन्ध सूर्य देवता से माना जाता है। इसका जल अधिग्रहण क्षेत्र लगभग 2320 वर्ग कि.मी. है। इसकी कुल लम्बाई 1525 कि.मी. है। हिमाचल प्रदेश में इसकी लम्बाई लगभग 22 कि.मी. है।

यमुना नदी उत्तराखंड में गढ़वाल मण्डल से प्रवाहित होते हुए, हिमाचल के सिरमौर जिला के खोदर माजरी में प्रवेश करती हैं। यह नदी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड के मध्य पूर्वी-दक्षिणी छोर पर सीमा विभाजक रेखा है। यमुना हिमाचल में 22 किलोमीटर बहने के बाद कौंच ताजेवाला नामक स्थान पर उत्तराखण्ड में चली जाती है।

यमुना की सहायक नदियाँ (Tributaries of Ravi):

यमुना की प्रमुख सहायक नदियांगिरी, पब्बर, टोंस, आंध्र, बाता, जलाल है। गिरि नदी का उद्गम स्थल शिमला जिला की जुब्बल तहसील के ‘कुफर’ स्थान पर स्थित है। यह नदी गिरि गंगा के नाम से भी प्रसिद्ध है। चूड़धार की चोटियों से निकलने वाली पाताल नदी तथा सरस्वती खड्ड इसके साथ मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है। पब्बर नदी का उद्गम स्थल ‘चन्द्रनाहन’ झील है जो चांशल पर्वत पर स्थित है। चिडगाव के समीप इस नदी में आंध्रा खड्ड तथा रोहडू में शिकड़ी – मिल जाती है। पब्बर नदी उतराखंड के आराकोट के पास लगभग 160 किमी. का सफर तय करने के बाद यमुना की प्रमुख सहायक नदी टौंस में मिल जाती है।

यमुना नदी के मुख्य तथ्य:

वैदिक नाम – कांलिदी
उद्गम स्थल – उत्तराखंड में स्थित गढ़बाल की पहाड़ियों में यमुनोत्री नामक स्थान से
जल ग्रहण क्षेत्र – 2,320 वर्ग कि.मी
कुल लम्बाई – 1525 कि.मी.
हिमाचल प्रदेश में कुल लम्बाई – 22 कि.मी
सहायक नदियाँ – गिरी, पब्बर, टोंस, आंध्र, बाता, जलाल
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