Introduction of Economics in Hindi, अर्थशास्त्र का परिचय
Introduction of Economics in Hindi | अर्थशास्त्र का परिचय:-
अथ्वा
What is Economics | अर्थशास्त्र किसे कहतें है :-
यह वह शास्त्र होता जिसमे मनुष्य की आवश्यकताओ की संतुष्टि करने या कल्याण को बढ़ाने तथा आर्थिक बिकास के लिए अनेक उपयोगों बाले सीमित साधनों के कुशलतम,उत्पादन, उपोग बिनिमय और वितरण से सम्बंधित कार्यो का इसमे अध्ययन किया जाता हैं| प्रत्येक गृहस्त की आवश्यकताए असीमित होती है परन्तु उन्हें संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन जैसे -कपड़ा , भोजन आदि सीमित होते है | इन सीमित साधनों को ही धन कहा जाता है | प्रत्येक गृहस्त अपने धन का इस तरह उचित उपोग करना चाहेगा कि वह अपनी अधिक से अधिक आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सके |
अर्थशास्त्र की परिभाषा:-
अर्थशास्त्र एक विकासशील शास्त्र है |इसकी विभिन्न अर्थशास्त्रीओं अलग-2 परिभाषाए दी है जिनका वर्णन इस प्रकार से किया गया है:-
1.अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा :-
यह परिभाषा अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ ने सन 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ” An Enquiry into the nature and causes of wealth of nations” में इस प्रकार दि है “अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन की प्रकृति और कारणों की खोज है”|
आलोचना:- (Criticism):यह परिभाषा दोष पूर्ण है इसमे मनुष्य के कल्याण के स्थान पर केवल धन की ओर ध्यान दिया गया है |अत: धन हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने का एक साधन है| धन को मनुष्य से अधिक महत्व देना अनुचित है |
अत: अर्थशास्त्रीयो ने इसे एक दुखदायी विज्ञान कहा है|
2.भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा :-
डॉ. मार्शल ने 1890 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “Principles of Economics”में अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार दी है |”अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के संबध में मानव जाति का अध्ययन है| इसमे उन कार्यो का अध्ययन होता है जिसका घनिष्ट सबंध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक साधनों की प्राप्ति और उन के प्रयोग से होता है|
आलोचना:- इसकी आलोचना निम्नलिखित है:-
(1) अर्थशास्त्र में सभी प्रकार के आर्थिक कार्यो का अध्ययन किया जाता है जिसमे कल्याण में वृद्धि हो या न हो|
(2) अर्थशास्त्र में सभी प्रकार के सीमित साधनों से सम्बंधित कार्यो का अधय्यन किया जाता है चाहे वे भौतिक हो या अभौतिक हो|
(3) अर्थशास्त्र में सभी प्रकार के आर्थिक कार्यो का अधय्यन किया जाता है ,चाहे उनसे कल्याण में वृद्धि हो अथवा न हो |
3.अर्थशास्त्र की दुर्ल्भद्ता सबंधी परिभाषा :-
यह परिभाषा डॉ रोबिन्स ने 1932 में अपनी पुस्तक “An Essay on the nature and significance of economic science” में दिया है कि “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन उपयोगो वाले सिमित साधनों और उदेश्यों से सम्बध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है “
आलोचना:- इसकी आलोचना डार्विन , फ्रेजर , ऐली ने की है. उनके अनुसार इस परिभाषा में केवल चयन की ओर ध्यान दिया गया है. मंनुश्य के कल्याण और उसकी समस्याओं का इसमें ध्यान नही गया है.
4.विकास-केन्द्रित परिभाषा :-
प्रो. सैम्युअल्सन, पीटरसन और फर्गुसन आदि अर्थशास्त्रियों ने इसकी परिभाषा इस प्रकार दी है कि अर्थशास्त्र्र वह शास्त्र है जिसमे मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जिन्हें वे अधिकतम संतुष्टि को प्राप्त करने के लिए सीमित साधनों के उचित प्रयोग के संवंध में उपयोग करते है.
अर्थशास्त्र के प्रकार:-
अर्थशास्त्र को दो भागो में बाँटा गया है.
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(2)समष्टी अर्थशास्त्र
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र:-
यह वह शास्त्र होता है जिसमे छोटे स्तर पर अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओ का अध्ययन किया जाता है. जैसे:- एक फॉर्म, एक इकाई और एक उत्पादक इत्यादि.
(2)समष्टी अर्थशास्त्र:-
समष्टी अर्थशास्त्र वह शास्त्र होता है जिसमे बड़े स्तर पर या सामूहिक स्तर पर अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओ का अध्ययन किया जाता है. जैसे :- देश की राष्ट्रिय आय , निर्धनता और बेरोजगारी इत्यादि.
See Also: व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर
क्यू. अर्थव्यवस्था किसे कहते है?
उत्तर:- यह वह प्रणाली होती है जिसमे मनुष्य अपनी आजीविका कमाता है तथा अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि करता है.
क्यू. अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत क्रियाएँ कौन-2 सी है?
उत्तर:- अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत क्रियाएँ:-
i) उत्पादन:- यह वह प्रक्रिया होती है जिसमे कच्चे माल को उपयोगी वस्तु में परिवर्तित किया जाता है.
ii) उपभोग:- विभिन्न आवश्कताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं का किया गया प्रत्यक्ष उपयोग उपभोग कहलाता है.
iii) निवेश:- यह वह प्रक्रिया होती है जो आय के सृजन में हमारी सहायता करती है.
क्यू. बचत किसे कहते है?
उत्तर:- आय वह उपभोग के अंतर को बचत कहते है.
क्यू. अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्णन करें?
उत्तर:- अर्थव्यवस्था के क्षेत्र:- अर्थव्यवस्था में निम्न तीन प्रकार के क्षेत्र पाए जाते है:-
1.प्राथमिक क्षेत्र:- यह वह क्षेत्र होता है जिसमे प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है. इसमें मुख्यतः कृषि क्षेत्र को शामिल किया जाता है. इसके अलावा मछली पालन और खनन इत्यादि भी इस क्षेत्र में शामिल किये जाते है.
2. द्वितीयक क्षेत्र:- यह वह क्षेत्र होता है जिसमे उद्यम एक प्रकार की वस्तु को दुसरे प्रकार की वस्तु में परिवर्तित करता है जैसे गन्ने से चीनी बनाना. इसमें मुख्यतः उद्योगों को शामिल किया जाता है. इससे विनिर्माण क्षेत्र भी कहते है.
3. तृतीयक क्षेत्र:- यह वह क्षेत्र होता है जो सेवाओं का उत्पादन करता है इससे सेवा क्षेत्र भी कहते है. इसमें बैंकिंग, बिमा, संचार और व्यापार इत्यादि शामिल किये जाते है.