मांग का सिधांत (Theory of Demand):-
1.मांग की अवधारणा (Concept of Demand):-
आम बोलचाल की धारणा में इच्छा तथा मांग शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में किया जाता है. परंतु अर्थशास्त्र में मांग शब्द का विशेष अर्थ होता है मान लो आपकी एक रंगीन टेलीविजन लेने की इच्छा है. परंतु आपके पास पर्याप्त धन नही है. तो यह इच्छा केवल इच्छा है, मांग नहीं. और यदि पर्याप्त धन होते हुए भी आप उस धन को टेलीविजन खरीदने पर खर्च नही करना चाहते है
तो यह इच्छा भी मांग नही है. यह इच्छा उस स्थिति में मांग का रूप धारण करेंगी, जिस स्थिति में आप रंगीन टेलीविजन खरीदने के लिए धन खर्च करने के लिए तयार है. अत: किसी वस्तु के लिए मांग से अभिप्राय वस्तु को खरीदने की उस इच्छा से जिसके लीये पर्याप्त क्रयशक्ति है और खर्च करने की तत्परता है.
2.मांग तथा मांगी गयी मात्रा (Demand and Quantity Demanded):-
i) मांग (Demand) किसी कहते है
जब कोई व्यक्ति एक निश्चित समय पर और एक निश्चित कीमत पर किसी वस्तु को खरदने के लिए तयार होता है तो उसे मांग (Demand) कहते है.
ii) मांगी गयी मात्रा किसे कहते है (Quantity Demanded):-
इस से अभिप्राय वस्तु की उस विशेष मात्रा से होता है जिससे उपभोक्ता के निश्चित समय पर और एक निश्चित कीमत पर उस वस्तु को खरीदने के लिए तयार होता है.
मांग अनुसूची:-
मांग अनुसूची या तालिका किसे कहते है
यह वह तालिका होती है जो किसी व्यक्ति द्वारा एक निश्चित समय पर और एक निश्चित कीमत पर खरीदी गयी वस्तु को प्रकट करता है. यह निम्नलिखित प्रकार की होती है:-
i) व्यक्तिगत मांग अनुसूची या तालिका:-
यह वह अनुसूची या तालिका होती है जिसमे एक व्यक्ति एक निश्चित समय में और एक निश्चित कीमत पर वस्तु को खरीदने के लिए तयार होता है.
ii) बाजार मांग अनुसूची या तालिका:-
यह वह तालिका होती है जिसमे बाज़ार में विभिन्न व्यक्ति वस्तुओं को खरीदने के लिए तयार होते है.
4.मांग वक्र:-
मांग वक्र किसे कहते है यह कितने प्रकार का होता है
यह मांग तालिका का रेखाचित्रीय प्रस्तुतिकरण होता है. यह निम्न प्रकार का होता है:-
i) व्यक्तिगत मांग वक्र:-
यह वह वक्र होता है जो एक व्यक्ति के द्वारा वस्तु की कीमत और मांग में संवंध को प्रकट करता है.
ii)बाज़ार मांग वक्र:-
यह वह वक्र होता है जिसमे बाज़ार में वस्तु की कीमत और मांग के संवंध को प्रकट किया जाता है.
5. मांग फलन या मांग के निर्धारक तत्त्व:-
मांग को प्रभावित करने वाले या निर्धारित करने वाले तत्वों की व्याख्या करें
इसे प्रभावित करने वाले या निर्धारित करने वाले तत्त्व निम्न है:-
1.व्यक्तिगत मांग फलन:-
इसमें किसी एक व्यक्ति के द्वारा किसी वस्तु की मांग और उसको निर्धारित करने वाले तत्वों को प्रकट किया जाता है जो निम्न प्रकार से है:-
1)वस्तु की कीमत:-
यह वह है जो मांग को प्रभावित करने वालापहला कारक है. जब किसी वस्तु की कीमत अधिक होती है तो मांग कम हो जाती है इसके विपरीत जब वस्तु की कीमत कम होती है तो मांग ज्यादा की जाती है.
2) संवंधित वस्तुओं की कीमत:-
यह वस्तु की मंग पर संबंधित वस्तु की कीमत का प्रभाव पड़ता है ये वस्तुएं दो प्रकार की होती है:-
1.प्रतिस्थापन वस्तुएं:-
यह वह वस्तुए होती है जिनका एक दुसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है. जैसे:- चाय और कॉफ़ी | इन वस्तुओ में एक की कीमत बढने पर दूसरी वस्तु की मांग बढ़ जाती है और कीमत कम होने पर दुसरी वस्तु की कीमत कम हो जाती है.
2.पूरक वस्तुएं:-
ये वे वस्तुएं होती है जो मिलकर एक दुसरे की मांग को पूरा करती है. जैसे:- पेन और सिहाही | एक की कीमत में ब्रिधि होने से दुसरे की मांग कम हो जाती है. और एक की कीमत में कमी होने से दुसरे की मांग बढ़ जाती है.
3) उपभोक्ता की आय:-
इसका भी मांग पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. उपभोक्ता की आय बढने पर मांग बढ़ जाती है. और उपभोक्ता की आय कम होने पर मांग कम हो जाती है.
4) रूचि तथा प्राथमिकता:-
जिस वस्तु में हमारी रूचि तथा प्राथमिकता अधिक होती है उसकी मांग अधिक होती है. जिसमे रूचि और प्राथमिकता कम होती है तो उसकी मांग भी कम होती है.
5) संभावनाएं:-
यदि उपभोक्ता को संभावना है की भविष्य में कीमते बढने वाली है तो उस वस्तु की मांग अधिक हो जाती है. इसके विपरीत यदि उपभोक्ता को संभावना है की भविष्य में वास्तु की कीमत कम होने वाली है तो उस वस्तु की मांग कम हो जाती है.
2. बाज़ार मांग फलन:-
इससे वस्तु की बाज़ार मांग और उसके तत्वों को प्रकट किया जाता है. ये निम्न है:-
i) जनसँख्या का आकार:-
जनसँख्या के बढने से बाज़ार में मांग बढती है और जनसँख्या के कम होने से मांग कम होती है.
ii) आय का वितरण:-
यदि बाज़ार में आय का वितरण सामान हो तो मांग बढ़ जाती है. इसके विपरीत यदि आय का वितरण सामान नही हो तो आय कम हो जाती है.
6. मांग के नियम:-
मांग के नियम किसे कहते है तालीका एवं चित्र के द्वारा उयाख्या करें
यह वह नियम होता है जिसमें वस्तु की कीमत बढने पर मांग कम होती है और कीमत कम होने पर मांग बढ़ जाती है. इसे निम्न तालिका एवं चित्र द्वारा प्रकट किया जाता है:-
7. मांग वक्र का ढलान ऋणात्मक क्यों होता है
मांग वक्र का ढलान ऋणात्मक या उपर से निचे की और झुके होने के कारन बताए
मांग वक्र के ऋणात्मक ढलान से पता चलता है की किसी वस्तु के कीमत के कम होने से उस वस्तु को अधिक खरीदा जाता है इसमें कीमत और मांग में विपरीतत संबंध होता है. अत: मांग वक्र के ऋणात्मक या ऊपर से निचे की और झुके होने के निम्न कारण हिया:-
i)हास्यमान सीमांत उपयोगिता का नियम:-
इस नियम के अनुसार जैसे जैसे वस्तु की अधिक इकाइयाँ उपभोग की जाती है तो बैसे वैसे उसकी उपयोगिता घटती जजाती है. अत: उपभोक्ता अगली इकाई को खरीदने के लिए पहले से ही कम कीमत देने को तयार होता है. अत: वस्तु की अधिक मात्रा तभी खरीदी जाती है जब कीमत कम होती है.
ii) आय प्रभाव:-
वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप आय में परिवर्तन होने के कारण मांग में जो परिवर्तन होता है उसे आय प्रभाव कहते है कीमत के कम होने से आय बढ़ जाती है और आय के बढने से मांग बढ़ जाती है.
iii) प्रतिस्थापन प्रभाव:-
इससे अभिप्राय यह है की जब एक वस्तु अपनी दूसरी प्र्तीस्थाप्न वस्तु से सस्ती हो जाती है तो उसका दूसरी वस्तु के लिए प्रतिस्थापन किया जाता है जैसे:- चाय और कॉफ़ी. चाय की कीमत कम होने से उसका कॉफ़ी की के स्थान पर प्रतिस्थापन किया जाता है.उसे प्रतिस्थापन प्रभाव कहते है.
iv) उपभोक्ता समूह का आकार:-
जब कोई वस्तु सस्ती हो जाती है या कीमत कम हो जाती है तो दुसरे कई उपभोक्ता जो उस वस्तु को नहीं खरीदते थे. उसे खरीदने लगते है और मांग बढती है.
v) विभिन्न उपयोग:-
कई वस्तुओं के विभिन्न उपयोग होते है जैसे:- दूध का उपयोग चाय बनाने, दही , घी, पनीर, खोया, और मक्खन आदि बनाने के लिए किया जाता है. यदि दूध की कीमत कम होती है तो इसका इस्तेमाल विभिन उपयोगो के लिए किया जाएगा और दूध की मांग बढ़ जाएगी.
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